काशी मरणान्मुक्ति

मनोज ठक्कर और रश्मि छाजेड के द्वारा
भाषा : हिन्दी
बाध्यकारी: किताबचा
संस्करण: 3 संस्करण
विमोचन: 2011
ISBN-10: 8191092727
ISBN-13: 9788191092721
पृष्टों की संख्या : 512
प्रकाशक: शिव ॐ साई प्रकाशन
 
Buy Kashi Marnanmukti 3rd Ed from uRead.com
वैकल्पिक खरीदें विकल्प के लिए यहां क्लिक करें


लेखक परिचय

श्री मनोज ठक्कर

जो स्वयं को प्रकृति के हाथों में सौंपकर, मन में कोई संशय या संभ्रम लाए बिना केवल साक्षी भाव से जीवन-पथ पर चलता है, प्रकृति स्वयं उसके मार्ग का निर्माण कर उसे राह दिखाती है | ऐसे योगी को माध्यम बना प्रकृति मानव जाति के उद्धार के लिए सदियों में एक बार ऐसे अमूल्य ज्ञान रत्न का अवतरण करती है, जो युगों-युगों तक जीवन के अंध-पथ पर भटकते मानवों के मार्ग की पथप्रदर्शक ज्योति बन, उन्हें सही मार्ग पर प्रशस्त करता है |

' काशी मरणान्मुक्ति ' के रचयिता, श्री मनोज ठक्कर ने विज्ञान में स्नातकोत्तर शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात् २७ भिन्न विषयों का अध्ययन किया एवं आपने छात्रों को अर्थशास्त्र पढ़ाना प्रारंभ किया | पढ़ाने के साथ आपने अपने छात्रों को सदैव अपनी संपूर्ण ऊर्जा को सृजनात्मकता की और प्रेषित करने को प्रेरित किया | आपका दृढ़ विश्वास है कि देश का युवा समाज में आमूल परिवर्तन लाने की क्षमता रखता है| आपका यही विश्वास आपके शिष्यों का आत्मविश्वास बन गया | और कब आप गुरु के रूप में उनसे अभिन्न रूप से जुड़ गये इसका आपको आभास न हुआ | शिर्डी वाले साईबाबा को अपना गुरु मानने वाले, आपका विश्वास है कि जीवन-पथ पर उन्होंने सदैव आपका मार्गदर्शन किया | जीवन के हर सोपान पर आपकी भार्या श्रीमति रिंकू ठक्कर ने कभी आपकी शक्ति बन, तो कभी आपकी प्रेरणा बन आपका साथ दिया |

श्री मनोज ठक्कर की पहली पुस्तक ' प्राण काव्य - एक अभिव्यक्ति ' का विमोचन भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह ख़ाँ साहेब ने किया था | श्री ठक्कर ने ' प्राण-काव्य ' की सभी प्रतियाँ केवल उपहार रूप में प्रस्तुत की है | देश के कई प्रसिद्ध लेखकों का ' प्राण-काव्य ' की समीक्षा के प्रति एक मत है कि ' प्राण-काव्य ' की समीक्षा करना हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं है |

सुश्री रश्मि छाजेड़

सुश्री रश्मि छाजेड़ ने सह-लेखिका के रूप में इस रचना में अपना योगदान दिया| साहित्य के क्षेत्र में यह आपका पहला कदम है| मानव संसाधन विधा में अधिस्नातक होने के पश्चात् आपने अपने दैनिक कार्यों के साथ साहित्य-साधना नित्य अध्ययन रूप में जारी रखी| लेखन के साथ-साथ पुस्तक के विषय में आपने अथक शोध भी किया है|

लेखकों की यह दृढ़ मान्यता है की ' काशी मरणान्मुक्ति ' गुरु प्रसाद है, जिसे जन मानस तक पहुँचाने हेतु वे एक चयनित माध्यम मात्र हैं |


© 2010-13 शिव ॐ साई प्रकाशन | सर्वाधिकार सुरक्षित