काशी मरणान्मुक्ति की आधिकारिक वेबसाइट - भगवान शिव का आध्यात्मिक उपन्यास
श्री मनोज ठक्कर
जो स्वयं को प्रकृति के हाथों में सौंपकर, मन में कोई संशय या संभ्रम लाए बिना केवल साक्षी भाव से जीवन-पथ पर चलता है, प्रकृति स्वयं उसके मार्ग का निर्माण कर उसे राह दिखाती है | ऐसे योगी को माध्यम बना प्रकृति मानव जाति के उद्धार के लिए सदियों में एक बार ऐसे अमूल्य ज्ञान रत्न का अवतरण करती है, जो युगों-युगों तक जीवन के अंध-पथ पर भटकते मानवों के मार्ग की पथप्रदर्शक ज्योति बन, उन्हें सही मार्ग पर प्रशस्त करता है |
' काशी मरणान्मुक्ति ' के रचयिता, श्री मनोज ठक्कर ने विज्ञान में स्नातकोत्तर शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात् २७ भिन्न विषयों का अध्ययन किया एवं आपने छात्रों को अर्थशास्त्र पढ़ाना प्रारंभ किया | पढ़ाने के साथ आपने अपने छात्रों को सदैव अपनी संपूर्ण ऊर्जा को सृजनात्मकता की और प्रेषित करने को प्रेरित किया | आपका दृढ़ विश्वास है कि देश का युवा समाज में आमूल परिवर्तन लाने की क्षमता रखता है| आपका यही विश्वास आपके शिष्यों का आत्मविश्वास बन गया | और कब आप गुरु के रूप में उनसे अभिन्न रूप से जुड़ गये इसका आपको आभास न हुआ | शिर्डी वाले साईबाबा को अपना गुरु मानने वाले, आपका विश्वास है कि जीवन-पथ पर उन्होंने सदैव आपका मार्गदर्शन किया | जीवन के हर सोपान पर आपकी भार्या श्रीमति रिंकू ठक्कर ने कभी आपकी शक्ति बन, तो कभी आपकी प्रेरणा बन आपका साथ दिया |
श्री मनोज ठक्कर की पहली पुस्तक ' प्राण काव्य - एक अभिव्यक्ति ' का विमोचन भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह ख़ाँ साहेब ने किया था | श्री ठक्कर ने ' प्राण-काव्य ' की सभी प्रतियाँ केवल उपहार रूप में प्रस्तुत की है | देश के कई प्रसिद्ध लेखकों का ' प्राण-काव्य ' की समीक्षा के प्रति एक मत है कि ' प्राण-काव्य ' की समीक्षा करना हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं है |
सुश्री रश्मि छाजेड़
सुश्री रश्मि छाजेड़ ने सह-लेखिका के रूप में इस रचना में अपना योगदान दिया| साहित्य के क्षेत्र में यह आपका पहला कदम है| मानव संसाधन विधा में अधिस्नातक होने के पश्चात् आपने अपने दैनिक कार्यों के साथ साहित्य-साधना नित्य अध्ययन रूप में जारी रखी| लेखन के साथ-साथ पुस्तक के विषय में आपने अथक शोध भी किया है|
लेखकों की यह दृढ़ मान्यता है की ' काशी मरणान्मुक्ति ' गुरु प्रसाद है, जिसे जन मानस तक पहुँचाने हेतु वे एक चयनित माध्यम मात्र हैं |